आज के समय में सरकार की तरफ से चलाई जा रही सोलर सब्सिडी स्कीम किसानों और आम लोगों के लिए एक सुनहरा मौका है, लेकिन जैसे-जैसे इन स्कीम्स की लोकप्रियता बढ़ रही है, वैसे-वैसे इसमें धांधली और फ्रॉड के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं।
कई लोग झूठे वादे करके, फर्जी कंपनियों के नाम पर या गलत दस्तावेजों के जरिए भोले-भाले लोगों को लूट रहे हैं। अगर आप भी सोलर सिस्टम लगवाने या सब्सिडी का फायदा लेने की सोच रहे हैं, तो ये लेख आपके लिए बहुत जरूरी है।
यहां हम आपको बताएंगे कि सोलर स्कीम में होने वाली धांधलियों के सामान्य तरीके क्या हैं, और कैसे आप खुद को इनसे बचा सकते हैं।
सबसे पहले समझिए: सोलर स्कीम है क्या?
भारत सरकार और राज्य सरकारें किसानों, घरेलू उपभोक्ताओं और MSME सेक्टर को प्रोत्साहित करने के लिए सोलर सब्सिडी स्कीम चला रही हैं। इसके तहत अगर आप सोलर पैनल लगवाते हैं, तो आपको कुल लागत का 30-90% तक सब्सिडी मिल सकती है।
इस योजना में भाग लेने के लिए आपको सरकार के पोर्टल पर आवेदन करना होता है, और किसी MNRE approved vendor से सोलर सिस्टम लगवाना होता है।
सबसे आम धांधलियों के तरीके
फर्जी एजेंट या कंपनियां
कुछ लोग खुद को सरकारी एजेंट या अधिकृत वेंडर बताकर पैसा वसूलते हैं, वे नकली दस्तावेज दिखाकर या फर्जी वादे करके आपको झांसे में ले लेते हैं।
झूठे सब्सिडी वादे
कई बार विक्रेता कहते हैं कि “80% सब्सिडी मिलेगी”, लेकिन असल में उतनी सब्सिडी स्कीम में है ही नहीं। असली सब्सिडी सिर्फ MNRE के नियमों के अनुसार मिलती है, और वो भी सीधे आपके बैंक अकाउंट में आती है।
घटिया क्वालिटी के पैनल लगाना
सस्ते में सिस्टम लगवाने के नाम पर कुछ कंपनियां घटिया क्वालिटी के पैनल और इन्वर्टर लगा देती हैं, जो ज्यादा दिन नहीं चलते।
ऑनलाइन पोर्टल पर फर्जी रजिस्ट्रेशन
कुछ एजेंट आपके नाम से ऑनलाइन पोर्टल पर गलत जानकारी भरते हैं, जिससे बाद में सब्सिडी क्लेम करने में दिक्कत आती है।
कैसे बचें इन धोखाधड़ियों से?
सरकारी पोर्टल से ही आवेदन करें
सभी राज्य सरकारों ने अपने-अपने सोलर पोर्टल बनाए हैं, जैसे:
हरियाणा: hareda.gov.in
उत्तर प्रदेश: upneda.org.in
राजस्थान: rreclmis.energy.rajasthan.gov.in
कभी भी किसी एजेंट पर भरोसा न करें जो खुद रजिस्ट्रेशन करने को कहे। स्वयं पोर्टल पर लॉगइन करके फॉर्म भरें।
केवल MNRE Approved Vendor से ही सिस्टम लगवाएं
MNRE (Ministry of New and Renewable Energy) की वेबसाइट पर सभी अधिकृत वेंडरों की लिस्ट होती है। उनके पास GST नंबर, कंपनी CIN, और इंस्टॉलेशन का अनुभव होना चाहिए।
सब्सिडी सीधे बैंक अकाउंट में आती है
अगर कोई कहे कि वह आपको तुरंत सब्सिडी दिला देगा या सब्सिडी कैश में देगा – तो सतर्क हो जाइए। सब्सिडी सीधे आपके खाते में NEFT के जरिए आती है।
कोई भी एडवांस पेमेंट सोच-समझकर करें
अगर कोई आपको बहुत ज्यादा एडवांस पेमेंट देने को कहे, तो पहले उसकी कंपनी का बैकग्राउंड चेक करें। Google पर रिव्यू देखें, या अपने क्षेत्र के किसी अन्य व्यक्ति से फीडबैक लें।
सिस्टम की गुणवत्ता की जांच करें
सोलर पैनल BIS (Bureau of Indian Standards) सर्टिफाइड होना चाहिए। इन्वर्टर MNRE अप्रूव्ड होना चाहिए। इंस्टॉलेशन के बाद आपको कम से कम 5 साल की सर्विस वारंटी मिलनी चाहिए।
अगर फिर भी ठगी हो जाए तो क्या करें?
अगर आपके साथ किसी तरह की सोलर स्कीम में धोखाधड़ी होती है, तो आप ये कदम उठा सकते हैं:
जिला नोडल अधिकारी को तुरंत सूचना दें। अपने सभी दस्तावेज और पेमेंट की रसीद संभाल कर रखें और साइबर क्राइम पोर्टल (www.cybercrime.gov.in) पर शिकायत दर्ज करें। RTI (सूचना का अधिकार) के जरिए भी सब्सिडी की स्थिति पता कर सकते हैं।
निष्कर्ष
सोलर स्कीम एक शानदार मौका है, लेकिन इसमें धोखा खाने के भी उतने ही मौके हैं। अगर आप थोड़ा सतर्क रहें, सरकारी वेबसाइट का इस्तेमाल करें और अधिकृत वेंडर से ही सिस्टम लगवाएं — तो आप धांधली से पूरी तरह बच सकते हैं।
अगर यह जानकारी आपके काम आई हो, तो इसे दूसरों के साथ जरूर शेयर करें, ताकि और लोग भी सोलर स्कीम के फ्रॉड से बच सकें।