आज के समय में जब बिजली की कीमतें बढ़ रही हैं और पावर कट आम हो गए हैं, जिससे सोलर पैनल और सोलर बैटरियों की मांग तेज़ी से बढ़ रही है। सोलर सिस्टम घरों और ऑफिसों में न केवल बिजली की बचत करता है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी बेहतर विकल्प है, लेकिन जब बात सोलर बैटरी खरीदने की आती है, तो लोग कई ऐसी गलतियाँ कर बैठते हैं जो बाद में भारी नुकसान में बदल जाती हैं। अगर आप भी सोलर बैटरी खरीदने की सोच रहे हैं, तो नीचे बताई गई 7 गलतियों जरूर बचे –
सिर्फ सस्ती बैटरी देखकर खरीद लेना
अक्सर लोग कीमत देखकर तुरंत बैटरी खरीद लेते हैं, लेकिन ये सबसे बड़ी गलती होती है। सस्ती बैटरियां जल्दी खराब हो जाती हैं, जल्दी डिस्चार्ज होती हैं और उनकी लाइफ भी कम होती है। हमेशा ब्रांडेड और भरोसेमंद बैटरी को प्राथमिकता दें, चाहे कीमत थोड़ी ज़्यादा ही क्यों न हो।
बैटरी की कैपेसिटी को नजरअंदाज़ करना
बहुत से लोग यह सोचकर छोटी कैपेसिटी की बैटरी ले लेते हैं कि वह चल जाएगी, लेकिन बाद में बैकअप की समस्या शुरू हो जाती है। आप जितने समय का पावर बैकअप चाहते हैं, उसके हिसाब से ही बैटरी की Ah (Ampere hour) रेटिंग का चुनाव करें।
गलत टाइप की बैटरी का चुनाव
बाजार में दो प्रमुख प्रकार की सोलर बैटरियां मिलती हैं लीड-एसिड बैटरी और लिथियम-आयन बैटरी।
लीड-एसिड बैटरी सस्ती होती है, लेकिन मेंटेनेंस की जरूरत पड़ती है। वहीं लिथियम-आयन बैटरी महंगी जरूर है, लेकिन यह मेंटेनेंस-फ्री होती है और इसकी लाइफ ज्यादा होती है। अपने बजट और जरूरत के हिसाब से सही टाइप के बैटरी का चुनाव करे।
लोकल ब्रांड्स पर भरोसा कर लेना
सिर्फ इसलिए कि कोई लोकल ब्रांड सस्ती बैटरी दे रहा है, उस पर भरोसा न करें। लोकल बैटरी में अक्सर
वारंटी, सर्विस और बैकअप की समस्याएं होती हैं। कोशिश करें कि Exide, Luminous, Amaron, Livguard जैसे भरोसेमंद ब्रांड्स की ही बैटरी खरीदें।
बैटरी वारंटी को नजरअंदाज़ करना
बैटरी लेते समय लोग वारंटी को नजरअंदाज़ कर देते हैं, जो आगे चलकर नुकसानदेह साबित होता है।
हमेशा देख लें कि बैटरी पर कितने साल की वारंटी है क्या वह फुल रिप्लेसमेंट है या प्रॉ-रेटेड? कम से कम 3 से 5 साल की वारंटी वाली बैटरी को ही खरीदें।
बैटरी की चार्जिंग स्पीड और साइकल लाइफ पर ध्यान न देना
हर बैटरी की चार्जिंग स्पीड और डिस्चार्ज साइकल अलग-अलग होती है। अगर आप लंबे समय तक बैटरी इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो उसकी साइकल लाइफ ज़रूर जांचें। लिथियम बैटरियों की साइकल लाइफ लीड-एसिड के मुकाबले कहीं ज़्यादा होती है, जिससे वो ज्यादा टिकाऊ होती हैं।
बैटरी को इन्वर्टर और सोलर पैनल से ठीक से मैच न करना
सिर्फ बैटरी लेना ही काफी नहीं है, आपको यह भी देखना होता है कि वह आपके सोलर इन्वर्टर और सोलर पैनल की वोल्टेज और कैपेसिटी के साथ कम्पैटिबल है या नहीं। गलत कम्पैटिबिलिटी से बैटरी जल्दी खराब हो सकती है या आउटपुट कम मिल सकता है।
निष्कर्ष
सोलर बैटरी खरीदते समय अगर आपने उपरोक्त 7 बातों का ध्यान रखा, तो ना केवल आपका पैसा बचेगा, बल्कि आपको लंबे समय तक भरोसेमंद पावर बैकअप भी मिलेगा। हमेशा यह सोचें कि यह एक निवेश है, ना कि सिर्फ खर्च। सही बैटरी चुनकर आप सालों तक बिना किसी परेशानी के सोलर एनर्जी का लाभ उठा सकते हैं।